आज जाने की ज़िद ना करो
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"Aaj Jane Ki Zid Na Karo"
This mesmerizing ghazal composed by Fayyaz Hashmi was made immortal by Malika-e-Ghazal, Farida Khanum. Listen to it sung here by the contemporary Indian singer, Arijit Singh.
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो
यूँ ही पहलु में बैठे रहो, यूँ ही पहलु में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो
हाय मर जाएंगे, हम तो लुट जाएंगे
ऐसी बातें किया ना करो
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो
तुम ही सोचो ज़रा, क्यूँ ना रोकें तुम्हें
जान जाती है जब, उठ के जाते हो तुम
जान जाती है जब, उठ के जाते हो तुम
तुमको अपनी क़सम जानेजां, बात इतनी मेरी मान लो
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो
यूँ ही पहलु में बैठे रहो, यूँ ही पहलु में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो
हाय मर जाएंगे, हम तो लुट जाएंगे
ऐसी बातें किया ना करो
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो
वक़्त की कैद में ज़िन्दगी है मगर, वक़्त की कैद में ज़िन्दगी है मगर
चंद घड़ियां यही हैं जो आज़ाद है, चंद घड़ियां यही हैं जो आज़ाद है
इनको खो कर मेरी जानेजाँ, उम्र भर ना तरसते रहो
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो
यूँ ही पहलु में बैठे रहो, यूँ ही पहलु में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो
हाय मर जाएंगे, हम तो लुट जाएंगे
ऐसी बातें किया ना करो
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो
कितना मासूम रंगीन है ये समां, हुस्न और इश्क़ की आज मेराज है
कल की किसको ख़बर जान-ए-जाँ, रोक लो आज की रात को
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो
यूँ ही पहलु में बैठे रहो, यूँ ही पहलु में बैठे रहो
आज जाने की ज़िद ना करो
हाय मर जाएंगे, हम तो लुट जाएंगे
ऐसी बातें किया ना करो
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो